क्या करूं क्या ना करूं
क्या करूं क्या ना करूं
तुमसे शिकायत क्या करूं Rajesh Meena · Mere Alfaz हजार झरने सुख जाते हैं समंदर के
किया और वहतो अपनी जान में मारहो चुका था पर करूं मरना तो निज बश नहीं ईश्वराधीन है
करूं कर रहे थे कि रानी हाथजोड़ नम हो फिर पंछने करूं यो हे महाराज जबसे में आपके घर आई हूं
करूं कर दी है अब मैं इसपर यह निराशा व्यक्त करूं कि मुझे पार्टी ने राजस्थान में क्यों कुछ नहीं दिया तो यह मायने नहीं रखता है ''
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